तेरे ख्यालों में हम डूबते ज़रूर हैं
मगर हम कागज़ नहीं जो बह जायगें
हम वो कश्ती हैं पगली
जो तूफां थम जाने पर आएंगे
तेरे ख्यालों ने रोक रखा है
वरना किसी में इतना दम कहाँ
जो आसिफ को टोक सका है
अब कहाँ याद होगा तुझे
जब नोटबंदी में आती थी
और हमसे कहती थी कि-
दामन मेरा तुम उससे छुड़ा दो
और साथ में मेरे नोट भी तुड़ा दो
बिहार का चुनाव है कांग्रेस को अपना वोट दो
और मुझे ज़रुरत है सौ पचास के नोट दो
आई हूँ यहाँ अगली बार दो हजार का लाऊंगी
अब यहाँ से सौ और पचास के नोट लेकर जाउंगी
आई हूँ यहाँ दो हजार का नोट भी लाई
जाउंगी तब जब सो पचास के नोट ले पाई
हम तो खंजर लेकर गए थे उसके पास
मगर उसने निगाहों से ही क़त्ल कर दिया हमें
एक आदर्श पति वही होता है 😂😂😂😂 जो अपनी बीवी के तानों को भी तरानो की तरह सुनें