Today, we are writing some poetry and status like Jung Shayari in Hindi to know the desire of all military people for the battle. Fighting is not a solution to any issue, it only escalates the issue. If you want to get out of it, put an end to the hate.
जंग नहीं है हल किसी की मुश्किलों का
मगर दिल को कभी सुकून मिल जाता है
जब नुक़सान हो जाए कुछ दुश्मन का
और अपना सही सलामत बच जाता है।
उठी है एक आवाज़ बड़े ही ज़ोर में
फिर उठा है कोई राहत इंदौर में
फिर कोई जलने वालों को जला रहा है
वो देखो तो ज़रा इंदौरी आ रहा है।
Zindagi Ek Jung Hai Shayari
ये नफ़रत में कटी रातें
और ये बलिदान की बातें
किससे कर रहे हो तुमको पता है
जो कह रहे थे चलो देश बाटें।
ख़िलाफ़त इस दौर में भी ज़िंदा है
बस आँखों पे पर्दा है हम शर्मिंदा है
कल नफरतों से अलग एक दुनिया हमारी थी
जब गुफ़्तगू करने हमने तलवार निकाली थी।
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Ishq Aur Jung Shayari
मसला हज़ार बस्तियों का है
समुन्द्र में बसी कश्तियों का है
लहरों से दूर रहो तूफ़ान आने वाला है
मुआमला ये नेक हस्तियों का है।
बात हक़ हो कह देनी चाहिए
ज़िन्दगी इश्क़ हो तो लुटा देनी चाहिए
दुश्मन कोई भी हमसे बड़ा नहीं होगा
वो आज़ादी मांगें तो दे देनी चाहिए।
Maidan E Jung Shayari
किस क़दर सर कटते रहे हैं
हम आपस में ही बटते रहे हैं
भला ये बात कौन समझाए
जब नौकर ही फैसले करते रहे हैं।
मसला ये नहीं कि अनजान हूँ
बात ये है के एक इंसान हूँ
मुझे पता है जंग अपनों से नहीं होती
मैं तुमसे अलग गैरों पर भी मेहरबान हूँ।
Unique Love Shayari for Lovers.
Jung Shayari in Hindi
मैदान-ए-जंग अक़्सर ये फ़रियाद करता है
ख़ून-खराबे से देखों वो भी बहुत डरता है
वो कहता है रुक जाओ जब तुम्हारा है
हम सब उसके हैं और वो हमारा है।
हजारों आसमान टूटे
जमीनें बिखरने लगीं
चोट से लोग दबे पड़े थे
फिर गोलियां चलने लगीं थी।
Zindagi Ki Jung Shayari
आओ तो ज़रा मैदान में
मग़र खंज़र ले कर के आना
देखों निहत्थे हम भी नहीं
इश्क़ हम से ले कर के जाना।
गोलाबारी चलती करती नहीं ज़मीं
वो कुछ दिल तोड़ देती है
कुछ का उठता है भरोसा कुछ पर से
वो निगाहों के सामने ज़िन्दगी मोड़ देती है।
ज़ंग के जुड़ी कुछ हैरत भरी शायरियां यहाँ पर आपके लिए पेश की गई हैं। जिनको पढ़कर आप भी जान सकेंगें की लड़ाई जहाँ की ही कोई भी करे हर जगह नुकसान ही होता है इससे कोई भी फ़ायदा हासिल नहीं होता। इसे के साथ आप यहाँ पर ज़ाकिर खान की मैं शून्य पे सवार हूँ और राहत इंदौरी साहब की बुलाती है मगर जाने का नहीं कविता भी पढ़ सकते हैं।